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MRF Company

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MRF Success story | MRF Tyre | एमआरएफ टायर फूल लेटेस्ट हिंदी स्टोरी |

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                                                 MRF का फुल नाम : Madras Rubber Factory 

मद्रास रब्बर फैक्ट्री भारत की टायर क्षेत्र मे बहुत बड़ी कंपनी हे। ए कंपनी बाइक से लेके बहुत बड़े फैन, ट्रक सब के टायर बनाती है।

एमआरएफ कंपनी तमिल नाडु के चेन्नई मे स्थापित है। कम्पनी की स्थापना 1946 में हुईं है जिसके 77 वर्ष पूरे हुए है। 

इस कंपनी के मालिक K.M.Mammen Mappillai है। उसके पुत्र Rahul Mammen Mappillai वो कंपनी के एमडी है।

कंपनी Tyre ,Tube , Coats, Toys और Sport Equipment,Conveyor belt ए सब प्रोडक्ट बनात हैं।

MRF ने नवंबर 1960 में कंपनी को एक निजी कंपनी के रूप में शामिल किया और अमेरिका स्थित  Mansfield Tire & Rubber company के साथ भागीदारी में टायरों का बिजनेस शुरू किया।

MRF 1 अप्रैल 1961 को सार्वजनिक हुआ और निर्यात बाजार को विकसित करने के लिए 1964 में बेरूत, लेबनान में एक कार्यालय स्थापित किया और 1967 में, अमेरिका को टायर एक्सपोर्ट करने वाली पहली भारतीय कंपनी बन गई।

सबसे अच्छी बात तो ए है की ए कंपनी का शेयर हालही मे ₹ 100000 के पार हो गया है। MRF का शेयर पूरे इंडिया की शेयर मार्केट के शेयर मे से सबसे ज्यादा प्राइस MRF की है। एमआरएफ शेयर प्राइस 2003 में ₹ 1173 थी आज वो ₹ 100000 के पार है।

Manufacturing Plant in India

  • Kottayam Plant in Kerala
  • Puducherry Plant
  • Goa Plant
  • Trichy Radial Plant, Tamil Nadu
  • Trichy Bias Plant , Tamil Nadu
  • Arakonam Plant in Tamil Nadu
  • Tiruvottiyur Plant in Chennai, Tamil Nadu
  • Medak Plant in Telangana
  • Ankenpally Plant in Telangana
  • Dahej Plant in Gujarat

कंपनी Goa में अपने प्लांट में खिलौने भी बनाती है। पेंट और कोट Chennai , Tamil Nadu में दो में निर्मित होते हैं।

एमआरएफ कंपनी स्पोर्ट इक्यूपमेंट भी बनाती है। उसका उपयोग हमारे देश के बड़े बड़े क्रिकेटर करते है। वो कंपनी क्रिकेटरों को स्पॉन्सर करती है जिससे उसका स्पोर्ट सामान ज्यादा से ज्यादा बिके।


Funskool :



Funskool India की स्थापना साल 1987 hasbro Toys कंपनी के साथ से US में हुई थी।

Funskool का हेड क्वार्टर चेन्नई तमिल नाडु में है। 

Funskool के सीईओ R Jeswant है।

ए कंपनी को 36 साल हो गए है।

Funskool खिलौने, बोर्ड गेम बनाती है ओर उसको एक्सपोर्ट करती है।

गोवा में उसका मैन्युफैक्चर होता है।

ए कंपनी के पास disney, Rummikub,warner Brothers,Dora का लाइसेंस है ओर भागीदारी Hasbro,Diku,Jumbo,Lego,Tomy Toys,Ravensburger,Hornby,LeapFrog के साथ मेनुफेचर ओर मार्केटिंग करती है।

Funskool उसकी प्रोडक्ट को भूटान , अफ्रीका, बांग्लादेश, यूरोप , मालदीव,नेपाल ,यूनाइटेड स्टेट्स , श्री लंका वो सब देश मे एक्सपोर्ट करती है।


साल 1946 से साल 2023 एमआरएफ की सफलता की कहानी  


साल 1946 मे एमआरएफ कंपनी कैसी थी :

  • के. एम. माम्मेन मपिल्लई ने मद्रास के तिरुवोट्टीयूर मे सन 1946 मे एक छोटे से शेड से शुरुआत की थी।
  • वो शेड में खिलौने के गुब्बारे बनाने से एमआरएफ कंपनी की शुरुआत हुई थी।


साल 1949 मे एमआरएफ कंपनी का क्या हूवा ?

  • एमआरएफ कंपनी लेटेक्स कास्ट खिलौने, गर्भनिरोधक और ग्लव्स बना रही थी।
  • एमआरएफ का पहला कार्यालय 1949 मे 334, थंबू चेट्टी स्ट्रीट, मद्रास , चेन्नई, तमिलनाडु, भारत मे स्थापना की थी।


साल 1952 में कंपनी की पोजीशन :

  • साल 1952 में एमआरएफ कंपनी ने ट्रेड रब्बर बनाने में उन्हें रस्ते पर बहुत बड़ी मात्रा में ला दिया।

1956 साल में एमआरएफ 

  • साल 1956 , 4 वर्ष के अंदर एमआरएफ कम्पनी भारत में ट्रेड रब्बर  के बाज़ार में 50% की भागीदारी के साथ अग्रणी था।

साल 1961 

  • एमआरएफ कंपनी के लिए 1961 साल बहुत फलदाई साबित हुवा क्योंकि वो एक सार्वजनिक कंपनी बन गई।
  • एमआरएफ ने सयुक्त राज्य अमेरिका मे एक कंपनी मैन्सफील्ड टायर एंड रब्बर फैक्ट्री के साथ मिलके तकनीकी सहयोग स्थापित किया।
  • उस समय तत्कालीन तमिलनाडु के मुख्यमंत्री श्री के. कामराज ने तिरुवोट्टीयूर में एमआरएफ के नए पायलट प्लांट से पहला टायर जारी कियाथा।

साल 1963

  • 12 जून 1963 में पंडित जवाहरलाल नेहरु ने कारखाने की उद्घाटन समारोह मे रब्बर अनुसंधान केंद्र की आधारशिला स्थापित की।

साल 1964

  • साल 1964 में एमआरएफ ने बेरूत में एक विदेशी धरती पर कदम रखा जो टायर एक्सपोर्ट करने में और अच्छी पहचान बनाने में भारत मे से पहले प्रयास में प्रथम थे।

साल 1967

  • एमआरएफ कंपनी अमेरिका मे टायर एक्सपोर्ट करने वाली पहली कंपनी बन गई थी।
  • इसलिए एमआरएफ कंपनी का मार्केट बहुत ऊपर तक जा चुका था।

साल 1970

  • 1970 में एमआरएफ ने दूसरा प्लांट केरला के कोट्टायम सिटी में स्थापित किया।

साल 1971

  • एमआरएफ ने 1971 में तीसरा प्लांट का उद्घाटन गोवा में किया।

साल 1972

  • सन 1972 में एमआरएफ ने चौथा प्लांट अर्कोनम, तिरुत्तानी रोड, इचिपुठुर,अराक्कोनम, तमिलनाडु में स्थापित किया।

साल 1973 

  • एमआरएफ ने नायलॉन यात्री कार टायर कमर्शियल मैन्यूफैक्रचर चालू किया और पूरे भारत में विवरण करने वाली पहेली कंपनी बन गई।

साल 1978

  • साल 1978 में कंपनी ने MRF Superlug-78 बनाया, वो हेवी ड्यूटी में काम आने वाले ट्रक के लिए सबसे मजबूत टायर है। ए टायर उनके सब उत्पादन किए गए उत्पानो में से सबसे मजबूत ओर महत्वपूर्ण योगदान था। बाद में आने वाले सब वर्षो में सबसे अधिकतम बिकने वाले ट्रक टायर बन गए थे।

साल 1985 

  • 1985 में एमआरएफ कंपनी ने टू व्हीलर के लिए नायलोग्रिप टायर लॉन्च किए इसलिए वो और ऊपर गया क्योंकि टू व्हीलर बहुत चल रहे थे ओर मजबूत टायर आते है।

साल 1988

  • 1988 में एमआरएफ ने खेलो में प्रवेश किया। एमआरएफ ने डेनिस लिली की कमान की तहत एमआरएफ पेस फाउंडेशन की स्थापना के साथ शुरुआत हुई। जिसने भारत के बोलर में सुपरस्पेशलिस्ट को डेवलप किए है।

साल 1989

  • एमआरएफ ने विश्व की सबसे बड़ी खिलौना बनाने वाली कंपनी हैसब्रो इंटरनेशनल यूएसए के साथ जुड़ते फनस्कूल इंडिया लॉन्च किया।
  • 1989 साल में एमआरएफ ने वेपोक्योर ऑस्ट्रेलिया के साथ मिलके पोलीयुरेथेन पैंट फॉर्मुलेशन का समझोता किया और MUSCLEFLEX कन्वेयर और ELEVATOR belting के लिए पिरेली के साथ पार्टनरशिप की।
  • 1989 की साल में सदाशिवपेट,तेलंगाना राज्य में मेडक प्लांट शुरू किया।
  • एमआरएफ ने 1989 की साल मे जवाहर लाल नेहरू ट्रॉफी में क्रिकेट टूर्नामेंट को स्पॉन्सर किया।
  • कंपनी ने सहयोग और पहचान में वृद्धि की ओर 1989 में मद्रास में भारत की पहली टायर कंपनी व्हील केयर कॉम्प्लेक्स एमआरएफ टायरद्रोम को खोलकर कस्टमर को एक नया और अच्छा अनुभव दिया।

साल 1990

  • 1990 में एमआरएफ विश्व की छठी बॉक्सिंग चैंपियनशिप को मुंबई लेकर आए वो अपनी पहली प्रतियोगिता आयोजन था जिसमे 39 देशो ने भाग लिया था।

साल 1993

  • साल 1993 में के. एम. मामेम्म मपिल्लई दक्षिण भारत के पहले उद्योगपती थे जिसको पद्मश्री से सम्मानित किया था।

साल 1996

  • एमआरएफ की स्वर्ण जयंती तक और पांडिचेरी में रेडियल को बनाने के लिए फुल फैशेलिटी वाला कारखाना स्थापित किया।

साल 1997

  • एमआरएफ ने साल 1997 में पहली बार F3 कारो में कदम रखा। F3 कार में स्लीक रेसिंग टायर ओर पंखों का उपयोग किया जाता है।
  • इस साल में एमआरएफ ने पहला T&S स्टोर का उद्घाटन किया था। 

साल 2001

  • 2001 में एमआरएफ को पहला पुरस्कार अवॉर्ड जेडी पावर जीता।
  • एमआरएफ कंपनी ने अपनी रैली टीम के साथ मिलकर APRC रैली जीती।

साल 2003

  • साल 2003 में एमआरएफ ने दूसरी बड़ी APRC जीत हासिल की।

साल 2005

  • एमआरएफ ने 2005 में तीसरी APRC रैली जीती।

साल 2007

  • साल 2007 में एमआरएफ का टर्नओवर 1 बिलियन डॉलर तक पहुंच चुका था।
  • फिर एमआरएफ ने साल 2007 में ZSLK टायर लॉन्च किया। वो टायर पूरी तरह से इको फ्रेंडली टायर थे।
  • साल 2008 में एमआरएफ ने फिरसे जेडी पावर अवॉर्ड छठी बार जीता।

साल 2011

  • एमआरएफ ने साल 2011 में सातवा संयंत्र अंकनपल्ली में शुरू किया।
  • इस साल में एमआरएफ का टर्नओवर 2 बिलियन डॉलर तक पहुंच चुका था।
  • एमआरएफ ने साल 2011 में कन्वेंशनल टायर उत्पान के लिए  8 वा संयंत्र त्रिची (तमिलनाडु) में शुरू किया।

साल 2012

  • एमआरएफ ने सिफ रेडियल टायर बनाने के लिए 9वा प्लांट त्रिचि, तमिलनाडु में स्थापित किया।

साल 2013

  • 2013 की साल में एमआरएफ ने 10वी बार जेडी पावर अवॉर्ड जीता।
  • इस साल में एमआरएफ का Aero muscle प्रसिद्ध जेट विमान Sukhoi 30 MKI के लिए भारत मे एक मात्र टायर बन गया है।
  • फिर एमआरएफ की टीम गौरव गिल ने पहली एशिया पैसिफिक रैली चैंपियनशिप जीती थी।

साल 2014

  • जेडी पावर अवॉर्ड एमआरएफ कंपनी ने 11वी बार जीता।
  • 2014 में APRC चैम्पियनशिप एमआरएफ ने 6थी बार जीते।

साल 2015

  • एमआरएफ फोर्ब्स इंडिया की भारत की उच्चतर 50 कंपनी की यादि में सामिल हो गई।

साल 2016

  • एमआरएफ ने 16 वर्ष में 12वी टाइम जेडी पावर अवॉर्ड जीता था।

साल 2017

  • एमआरएफ कंपनी ने भारत की 30 टॉप कंपनी की यादि में स्थान लेने के लिए 5 रेकिंग की छलांग लगाई थी।
  • इस साल में विश्व कि 15 टायर बनाने वाली टॉप कंपनी की सूची में एमआरएफ आ गया था।
  • एमआरएफ भारत की टॉप 50 वैल्यूएबल ब्रांड की सुपर ब्रांड यादि में शामिल है।
  • एमआरएफ बिजनेस कि दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती कंपनीयो की यादि में पहले स्थान का दावा करता है।
  • एमआरएफ की टीम गौरव गिल ने कॉफी डे रैली ओर साथ में APRC ताज तीसरी बार हासिल किया।

साल 2018

  • इस साल में 13वी टाइम जेडी पावर अवॉर्ड जीता है।

एमआरएफ मालिक के.एम माम्मेन मपिल्लई की कहानी(Story of K.M.Mammen Mappillai





के.एम माम्मेन मपिल्लई का जन्म 1922 में कोट्टायम में हुआ था और उनकी शिक्षा मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज स्कूल में हुई थी।  

उनके परिवार की संपत्ति और व्यवसाय जब्त होने के बाद जीवन बदल गया । विलासिता की गोद से अचानक गरीबी की ओर उतरना शुरू हो गया ।
 
चूँकि परिवार के पास कुछ भी नहीं बचा था, इसलिए युवा मम्मन कॉलेज के सेंट थॉमस हॉल में फर्श पर सोने लगे ।  
स्नातक की पढ़ाई पूरी होने के बाद, केएम ने अपनी पत्नी कुंजम्मा, जो एक रसायनज्ञ थीं, के साथ खिलौना गुब्बारे बनाने के लिए एक शेड में एक छोटी खिलौना गुब्बारा निर्माण इकाई खोली थी । 

वह उन्हें थैले में पैक करके सड़कों पर जाता था और बेचता था ।  

उनके एक चचेरे भाई के पास टायर रीट्रेडिंग संयंत्रों की एक श्रृंखला थी जिसके लिए ट्रेड रबर की आपूर्ति विदेशी टायर कंपनियों द्वारा की जाती थी । 

इस बाज़ार को भुनाने के प्रयास में, उन्होंने ट्रेड रबर के विनिर्माण जगत में प्रवेश करने का निर्णय लिया । और उनके प्रवेश के बाद कुछ ही समय में, उनके द्वारा निर्मित यह' ट्रेड रबर' एक बड़ी हिट थी क्योंकि ट्रेड रबर व्यवसाय में लगातार वृद्धि हो रही थी ।  

एमआरएफ अमेरिका को टायर निर्यात करने वाली पहली भारतीय कंपनी है और भारतीय बाजार में नायलॉन टायर पेश करने वाली भी पहली कंपनी है । 

एमआरएफ जल्द ही एकमात्र भारतीय स्वामित्व वाली इकाई बन गई जिसने इस प्रकार के ट्रेड- रबड़ का निर्माण किया, जिसने उन्हें उन बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा में खड़ा कर दिया जो भारत में काम कर रही थीं और उनके उच्च गुणवत्ता मानकों के कारण ।  

मद्रास रबर फैक्ट्री ने 1954 तक बड़े पैमाने पर बाजार हिस्सेदारी हासिल कर ली और 1961 में, यह एक सार्वजनिक लिमिटेड कंपनी बन गई और मैममेन मपिल्लई अगले वर्ष टायर बनाने के लिए आगे बढ़े ।  

केएम को उद्योग में उनके योगदान के लिए 1993 में सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार-' पद्म श्री' भी मिला था । बाद में 1997 में, MRF ने पहली बार F3 कारों में कदम रखा और 2001 में, MRF ने पहली बार JD पावर अवार्ड जीता । 



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